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#अंधश्रद्धाभक्ति_कुंभस्नान

आइए हम इस ब्लॉग के द्वारा जानते हैं कुंभ मेला के बारे में ।

कुंभ स्नान हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है जिसमें करोड़ों श्रद्धालु कुंभ स्थल हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन और नासिक में स्नान करते हैं। 

 परंतु क्या कुंभ में जाकर स्नान करना हमारे शास्त्रों में वर्णित है?

गीता अनुसार कुंभ में स्नान करना मुक्ति संभव है या नहीं?

 ऐसे ही जटिल प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए पढ़ें पूरा ब्लॉग।


कहते हैं कि कुंभ में नहाने से पाप धुल जाते
हैं । 
विचारणीय विषय हैं  👉 अगर कुंभ में नहाने से पाप धुलते  हैं और मुक्ति मिलती है तो मछली और अन्य जीव उसी  जल में रहते हुए अनेकों कष्ट सहन करते हैं तो फिर उस जल में रहते हुए भी उनकी मुक्ति क्यों नहीं होती है। 

 तीरथ जल में कच्छ और मच्छा जीव बहुत से रहते हैं।
उनकी मुक्ति ना होती वे कष्ट बहुत सा सहते हैं।

कुंभ जाने से लाभ है या नहीं देखें

👉 आप घर से चले स्नान करने के लिए और आपके एक कदम रखने से ही लाखों जीवों की हत्या हो गयी।
 कुम्भ में जाने में जितना हम पैदल चलते हैं। 

अब विचार कीजिये कि  

हमने  कितने अरबों जीवो की हत्या कर दी। 

आप जितने कदम चले हो और उन कदमों के नीचे जितने जीव मरे हैं (चाहे वो अनजाने में ही मरे हों), उन सभी का पाप भी आपको भोगना ही पडेगा। 
क्योंकि 

इस विषय में कबीर साहेब कहते हैं:-
तुमने उस दरगाह का महल नहीं देखा, धर्मरायके तिल तिल का लेखा।

 तीर्थ जाना, कुंभ स्नान करना ,व्रत करना ये सब मनमाना  आचरण है इनसे हमे कोई लाभ नहीं मिलेगा। 

क्योंकि गीता अध्याय 16 श्लोक 23 ,24 में कहा गया है कि शास्त्र विरुद्ध साधना से कोई लाभ नहीं होता है यदि देखा जाए तो कुंभ में स्नान करना भी गीता जी के विरुद्ध है। 

क्योंकि कुम्भ मे स्नान करने से हमें कोई लाभ नहीं मिलता है बल्कि  पाप लगते हैं।

और वैसे भी गीता अध्याय 7 श्लोक 12 से 15 में लिखा है कि  रजगुण ब्रह्मा जी ,सतगुण विष्णु जी तथा तमगुण  शिव जी की पूजा करने वाले राक्षस स्वभाव को धारण किए हुए मनुष्यों में नीच दूषित कर्म करने वाले मुर्ख है। 

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और इस बात को इन तीनों गुणों के उपासको ने साबित भी कर दिखाया है

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क्योंकि इन्हीं तीनों गुणों के उपाासको ने एक बार किया हरिद्वार में साधुओं का कत्लेआम।

तीर तुपक,तलवार,कटारी, ये जमधड़ जोर बँधावे हैं।

हर पैड़ी हर हेत न जाना वहां जा तीर चलावें हैं ।

काटे शीश नहीं दिल करुणा जग में साध कहावे हैं।

जो जन इनके दर्शन को जावे उनको भी नरक पठावे हैं।

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जब साधुओं के ये लक्षण हैं तो कुम्भ में नहाने से आम लोगों को क्या लाभ होगा। 

सूक्ष्मवेद में कहा है कि तीर्थ और धामो पर जाने से कोई लाभ नहीं है। असली तीर्थ तत्वदर्शी संत  का सत्संग है।

तत्वदर्शी संत का सत्संग निम्न चैनलों पर सुने।


कुंभ  मेला में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए
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सर्वश्रेष्ठ तीर्थ कौन सा है जिससे सभी तीर्थों से अधिक लाभ मिलता है ?
जानने के लिए पढे पुस्तक " अंध श्रद्धा भक्ति खतरा ए जान"

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1 Comments

  1. 1. सुबह 8:30 तक स्नान , नित्यनियम और नाश्ता ।

    2. सुबह 9 से 10 बजे प्रथम मंत्र सुमिरन

    3. सुबह 10 से 11 बजे पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा पठन

    4. सुबह 11 से 1 बजे तक पवित्र पुस्तक मुक्ति बोध का पठन

    5. दोपहर 1 से 1:17 बजे असुरनिकन्दन रमैनी

    6. 1:17 से 2 बजे तक सुमिरण

    7. दोपहर 2 से 3 बजे सतसंग श्रद्धा tv पर

    8. फिर 3 से 4 बजे ज्ञान चर्चा

    9. फिर 4 से 4:30 तक चाय राम

    10. फिर 4 :30 से 6 बजे सुमिरन

    11. फिर 6 से 7 संध्या आरती

    12. फिर 7 से 7:30 बजे भण्डारा

    13. फिर 7:30 से 8:30 बजे सत्संग साधना tv पर।

    14. फिर 8:30से 9:30 बजे सत्संग ईश्वर tv पर ।

    15. फिर 9:30 से 10:30 बजे सुमिरण

    16. 10:30 बजे परमात्मा का सुमिरन के साथ साथ आराम ।

    👆 संत रामपाल जी महाराज 🙏🏻के भक्तों के लिए Lock down मे विशेष पैकेज ।

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