आज हम इस ब्लॉग के माध्यम से आपको बताएंगे कि मांस खाना अल्लाह के विधान के अनुसार महापाप है।
हजरत मोहम्मद जी जिस साधना को करता था वही साधना अन्य मुसलमान समाज भी कर रहा है वर्तमान में सभी मुसलमान श्रद्धालु मांस भी खा रहे हैं जबकि नबी मोहम्मद जी ने कभी मांस नहीं खाया ना ही उनके अनुयायियों ने मांस खाया ।
केवल रोजा व बंग तथा नमाज किया करते थे।
गाय आदि की हत्या नहीं करते थे।
नबी मोहम्मद नमस्कार है,राम रसूल कहाया ।
एक लाख अस्सी को सौगंध, जिन नहीं करद चलाया।।
एक समय नबी मोहम्मद ने एक गाय को शब्द से मारकर सबके सामने जीवित कर दिया था उन्होंने गाय का मांस नहीं खाया अब मुसलमान समाज वास्तविकता से परिचित नहीं है जिस दिन गाय जीवित की थी उस दिन की याद बनाए रखने के लिए को गाय को मार देते हो आप जीवित नहीं कर सकते तो मारने के भी अधिकारी नहीं हो आप मांस को प्रसाद रूप जानकर खाते और खिलाते हो आप स्वयं भी पापी के भागी बनते हो और अनुयायियों को भी गुमराह कर रहे हो आप नरक के पात्र बन रहे हो ।
कबीर ,मांस आहारी मानई, प्रत्यक्ष राक्षस जानि।
ताकी संगति मति करें , होई भक्ति में हानि।।
पूज्य कबीर परमेश्वर ने समझाया है कि जो व्यक्ति मांस खाते हैं, शराब पीते हैं, सत्संग सुनकर भी बुराई नहीं त्यागते , उपदेश प्राप्त नहीं करते ,उन्हें तो साक्षात राक्षस जानो।
अनजाने में गलती न जाने किस से हो जाए यदि वह बुराई करने वाला व्यक्ति सत्संग विचार सुनकर बुराई त्याग कर भगवान की भक्ति करने लग जाता है तो वह नेक आत्मा है वह चाहे किसी जाति व धर्म का हो ।
जो मांसाहार तथा सुरापान त्यागकर प्रभु भक्ति नहीं करता वह तो नीच व्यक्ति है।
जो व्यक्ति मांस भक्षण करते हैं, शराब पीते हैं ,जो स्त्री वैश्यावृत्ति करती हैं तथा जो व्यक्ति उससे वैश्या व्यवसाय करवा कर धन प्राप्त करते हैं, जुआ खेलते हैं तथा चोरी करते हैं,समझाने में भी नहीं मानते ,वह तो महापाप के भागी हैं , तथा घोर नरक में गिरेंगे।
मांस चाहे गाय, मुर्गी आदि किसी प्राणी का हो जो व्यक्ति मांस खाते हैं वे नरक के भागी हैं।
यह मांस तो कुत्ते का आहार है मनुष्य शरीर धारी के लिए वर्जित है।
जो गुरुजन मांस भक्षण करते हैं, शराब पीते हैं उनसे नाम दीक्षा प्राप्त करने वालों की मुक्ति नहीं होती बल्कि महा नरक के भागी होंगे।
जो व्यक्ति जीव हिंसा करते हैं वह महा पापी हैं।
कबीर परमेश्वर कहते हैं कि बकरी जो आपने मार डाली वह तो घास फूस पत्ते आदि खाकर पेट भर रही थी।
इस काल लोक में ऐसे शाकाहारी पशु की भी हत्या होगी तो जो बकरी का मांस खाते हैं उनका तो अधिक बुरा हाल होगा।
पशु आदि को हलाल, बिस्मिल आदि करके मांस खाने व प्रसाद रूप में वितरित करने का आदेश दयालु प्रभु का कब प्राप्त हुआ।
बाबा आदम की वंशज संतान हजरत इसराइल, राजा दाऊद हजरत मूसा ,हजरत ईसा तथा हजरत मोहम्मद आदि को माना है ।
पूर्ण परमात्मा तो 6 दिन सृष्टि रचकर तख्त पर विराजमान हो गया ।बाद का सर्व कतेबो ( कुरान शरीफ आदि) का ज्ञान ब्रह्म (काल/ ज्योति निरंजन) का प्रदान किया हुआ है ।
पवित्र कुरान का ज्ञान दाता स्वयं कहता है कि पूर्ण परमात्मा जिसे करीम, अल्लाह जाता है उसका नाम कबीर है वही पूजा की योग्य है।
उसके तत्वज्ञान व भक्ति विधि को किसी बाखबर से पता करो।
इससे सिद्ध है कि जो ज्ञान कुरान शरीफ आदि का है वह पूर्ण प्रभु का नहीं है।
जब काजी के पुत्र की मृत्यु हो जाती है तो काजी को कितना कष्ट होता है तो पूर्ण ब्रह्म (अल्लाह कबीर ) सर्व का पिता है उसके प्राणियों को मारने वाले से अल्लाह खुश नहीं होता।
दर्द सभी को एक जैसा ही होता है अनजान नहीं जानते यदि बकरे आदि का गला काट कर उसे स्वर्ग भेज देते हो तो मुल्ला अपना गला हलाल करके स्वर्ग प्राप्ति क्यों नहीं करते हैं।
जिस समय बकरी को मुल्ला मारता है तो वह बेजुबान
प्राणी आंखों में आंसू भर म्यां म्यां करके समझाना चाहता है कि हे मुल्ला मुझे मार कर पाप का भागी मत कर जब परमेश्वर के न्याय अनुसार लेखा किया जाएगा उस समय तुझे बहुत संकट का सामना करना पड़ेगा।
जबरदस्ती निर्दयता से बकरी आदि प्राणी को मारते हो, कहते हो हलाल कर रहे हैं। इस दोगली नीति का आपको महा कष्ट भोगना होगा।
काजी तथा मुल्ला व कोई भी जीव हिंसा करने वाला पूर्ण प्रभु के कानून का उल्लंघन कर रहा है, जिस कारण वहां धर्मराज के दरबार में खड़ा खड़ा पिटेगा यदि हलाल की करने का शौक है तो काम, क्रोध ,मोह ,अहंकार,लाभ आदि को कर।
पांच समय नमाज भी पढ़ते हो तथा रोजों के समय रोजे भी रखते हो ।
शाम को गाय बकरी मुर्गी आदि को मारकर मांस खाते हो।
एक तरफ तो परमात्मा की स्तुति करते हो दूसरी और उसी के प्राणियों की हत्या करते हो ऐसे प्रभु कैसे खुश होगा अर्थात आप स्वयं भी पाप के भागी हो रहे हो अनुयायियों को भी गुमराह करने के दोषी होकर नर्क में गिरोगे ।
कबीर परमेश्वर कहते है उत्तम खाना नमकीन खिचड़ी है उसे खाओ।
दूसरे का गला काटने वाले को उसका बदला देना पड़ेगा यह जानकर समझदार व्यक्ति प्रतिफल में अपना गला नहीं
कटाता।
दोनों ही धर्मों के मार्गदर्शक निर्दयी हो चुके हैं ।
हिंदुओं के गुरु कहते हैं कि हम तो एक झटके से बकरा आदि का गला छेदन करते हैं जिससे प्राणी को कष्ट नहीं होता इसलिए हम दोषी नहीं है तो मुसलमान धर्म के मार्ग दर्शक कहते हैं हम धीरे-धीरे हलाल करते हैं जिस कारण हम दोषी नहीं है ।
परमात्मा कबीर साहेब जी ने कहा है यदि आपका तथा आपके परिवार के सदस्य किसी भी विधि से काटा जाए तो आपको कैसा लगेगा ।
बात करते हैं पुण्य की, करते हैं घोर अधर्म।
दोनों दीन नरक में,पड़ ही, कुछ तो करो शर्म ।।
कबीर परमेश्वर ने कहा:-
हम मोहम्मद को सतलोक ले गया ।
इच्छा रूप वहां नहीं रहयो।
उल्ट मोहम्मद महल पठाया,गुज बीरज एक कलमा लाया। ।रोजा,बंगल, नामाज दई रे ,बिस्मिल की नहीं बात कही रेे।।
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कबीर ,मांस आहारी मानई, प्रत्यक्ष राक्षस जानि।
ताकी संगति मति करें , होई भक्ति में हानि।।
पूज्य कबीर परमेश्वर ने समझाया है कि जो व्यक्ति मांस खाते हैं, शराब पीते हैं, सत्संग सुनकर भी बुराई नहीं त्यागते , उपदेश प्राप्त नहीं करते ,उन्हें तो साक्षात राक्षस जानो।
अनजाने में गलती न जाने किस से हो जाए यदि वह बुराई करने वाला व्यक्ति सत्संग विचार सुनकर बुराई त्याग कर भगवान की भक्ति करने लग जाता है तो वह नेक आत्मा है वह चाहे किसी जाति व धर्म का हो ।
जो मांसाहार तथा सुरापान त्यागकर प्रभु भक्ति नहीं करता वह तो नीच व्यक्ति है।
जो व्यक्ति मांस भक्षण करते हैं, शराब पीते हैं ,जो स्त्री वैश्यावृत्ति करती हैं तथा जो व्यक्ति उससे वैश्या व्यवसाय करवा कर धन प्राप्त करते हैं, जुआ खेलते हैं तथा चोरी करते हैं,समझाने में भी नहीं मानते ,वह तो महापाप के भागी हैं , तथा घोर नरक में गिरेंगे।
मांस चाहे गाय, मुर्गी आदि किसी प्राणी का हो जो व्यक्ति मांस खाते हैं वे नरक के भागी हैं।
यह मांस तो कुत्ते का आहार है मनुष्य शरीर धारी के लिए वर्जित है।
जो गुरुजन मांस भक्षण करते हैं, शराब पीते हैं उनसे नाम दीक्षा प्राप्त करने वालों की मुक्ति नहीं होती बल्कि महा नरक के भागी होंगे।
जो व्यक्ति जीव हिंसा करते हैं वह महा पापी हैं।
कबीर परमेश्वर कहते हैं कि बकरी जो आपने मार डाली वह तो घास फूस पत्ते आदि खाकर पेट भर रही थी।
इस काल लोक में ऐसे शाकाहारी पशु की भी हत्या होगी तो जो बकरी का मांस खाते हैं उनका तो अधिक बुरा हाल होगा।
पशु आदि को हलाल, बिस्मिल आदि करके मांस खाने व प्रसाद रूप में वितरित करने का आदेश दयालु प्रभु का कब प्राप्त हुआ।
{क्योंकि पवित्र बाइबल उत्पत्ति ग्रंथ में पूर्ण परमात्मा ने 6 दिन में सृष्टि रची सातवें दिन ऊपर तक पर जा बैठा तथा सर्व मनुष्य के आहार के लिए आदेश किया था कि मैंने तुम्हारे खाने के लिए फलदार वृक्ष तथा बीजदार पौधे दिए हैं ।
उस करीम की ओर से आपको फिर से कब आदेश हुआ? वह कौन सी कुरान में लिखा है?
पूर्ण परमात्मा सर्व मनुष्यों आदि की सृष्टि रचकर ब्रह्म को दे गया । बाद में पवित्र बाईबल तथा पवित्र कुरान शरीफ आदि ग्रंथों में जो विवरण है वह ब्रह्म का तथा उसके फरिश्तों का है या भूतों का है ।
पूर्णब्रह्म दयालु अल्लाहू कबीरू का नहीं है उस पूर्ण ब्रह्म के आदेश की अवहेलना किसी भी फरिश्ते व ब्रह्म आदि के कहने से करने की सजा भोगनी पड़ेगी}
क्योंकि कुरान शरीफ का सारा ज्ञान ब्रह्म का दिया हुआ है।इसमें उसी का आदेश है तथा पवित्र बाइबल में केवल उत्पत्ति ग्रंथ के प्रारंभ में पूर्ण प्रभु का आदेश है पवित्र बाइबल में हजरत आदम और उसकी पत्नी हव्वा को उस पूर्ण परमात्मा ने बनाया।बाबा आदम की वंशज संतान हजरत इसराइल, राजा दाऊद हजरत मूसा ,हजरत ईसा तथा हजरत मोहम्मद आदि को माना है ।
पूर्ण परमात्मा तो 6 दिन सृष्टि रचकर तख्त पर विराजमान हो गया ।बाद का सर्व कतेबो ( कुरान शरीफ आदि) का ज्ञान ब्रह्म (काल/ ज्योति निरंजन) का प्रदान किया हुआ है ।
पवित्र कुरान का ज्ञान दाता स्वयं कहता है कि पूर्ण परमात्मा जिसे करीम, अल्लाह जाता है उसका नाम कबीर है वही पूजा की योग्य है।
उसके तत्वज्ञान व भक्ति विधि को किसी बाखबर से पता करो।
इससे सिद्ध है कि जो ज्ञान कुरान शरीफ आदि का है वह पूर्ण प्रभु का नहीं है।
जब काजी के पुत्र की मृत्यु हो जाती है तो काजी को कितना कष्ट होता है तो पूर्ण ब्रह्म (अल्लाह कबीर ) सर्व का पिता है उसके प्राणियों को मारने वाले से अल्लाह खुश नहीं होता।
दर्द सभी को एक जैसा ही होता है अनजान नहीं जानते यदि बकरे आदि का गला काट कर उसे स्वर्ग भेज देते हो तो मुल्ला अपना गला हलाल करके स्वर्ग प्राप्ति क्यों नहीं करते हैं।
जिस समय बकरी को मुल्ला मारता है तो वह बेजुबान
प्राणी आंखों में आंसू भर म्यां म्यां करके समझाना चाहता है कि हे मुल्ला मुझे मार कर पाप का भागी मत कर जब परमेश्वर के न्याय अनुसार लेखा किया जाएगा उस समय तुझे बहुत संकट का सामना करना पड़ेगा।
जबरदस्ती निर्दयता से बकरी आदि प्राणी को मारते हो, कहते हो हलाल कर रहे हैं। इस दोगली नीति का आपको महा कष्ट भोगना होगा।
काजी तथा मुल्ला व कोई भी जीव हिंसा करने वाला पूर्ण प्रभु के कानून का उल्लंघन कर रहा है, जिस कारण वहां धर्मराज के दरबार में खड़ा खड़ा पिटेगा यदि हलाल की करने का शौक है तो काम, क्रोध ,मोह ,अहंकार,लाभ आदि को कर।
पांच समय नमाज भी पढ़ते हो तथा रोजों के समय रोजे भी रखते हो ।
शाम को गाय बकरी मुर्गी आदि को मारकर मांस खाते हो।
एक तरफ तो परमात्मा की स्तुति करते हो दूसरी और उसी के प्राणियों की हत्या करते हो ऐसे प्रभु कैसे खुश होगा अर्थात आप स्वयं भी पाप के भागी हो रहे हो अनुयायियों को भी गुमराह करने के दोषी होकर नर्क में गिरोगे ।
कबीर परमेश्वर कहते है उत्तम खाना नमकीन खिचड़ी है उसे खाओ।
दूसरे का गला काटने वाले को उसका बदला देना पड़ेगा यह जानकर समझदार व्यक्ति प्रतिफल में अपना गला नहीं
कटाता।
दोनों ही धर्मों के मार्गदर्शक निर्दयी हो चुके हैं ।
हिंदुओं के गुरु कहते हैं कि हम तो एक झटके से बकरा आदि का गला छेदन करते हैं जिससे प्राणी को कष्ट नहीं होता इसलिए हम दोषी नहीं है तो मुसलमान धर्म के मार्ग दर्शक कहते हैं हम धीरे-धीरे हलाल करते हैं जिस कारण हम दोषी नहीं है ।
परमात्मा कबीर साहेब जी ने कहा है यदि आपका तथा आपके परिवार के सदस्य किसी भी विधि से काटा जाए तो आपको कैसा लगेगा ।
बात करते हैं पुण्य की, करते हैं घोर अधर्म।
दोनों दीन नरक में,पड़ ही, कुछ तो करो शर्म ।।
कबीर परमेश्वर ने कहा:-
हम मोहम्मद को सतलोक ले गया ।
इच्छा रूप वहां नहीं रहयो।
उल्ट मोहम्मद महल पठाया,गुज बीरज एक कलमा लाया। ।रोजा,बंगल, नामाज दई रे ,बिस्मिल की नहीं बात कही रेे।।
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3 Comments
Nice
ReplyDeleteसही कहा आपने
ReplyDeleteNice
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