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भक्ति न करने से बहुत दुःख होगा

भक्ति न करने से बहुत दुःख होगा

‘‘सूक्ष्मवेद में कहा है 

यह संसार समझदा नाहीं , कहंदा शाम दुपहरे नूँ ।
गरीब दास यह वक्त जात हैं , रोवोगे इस पहले नूँ।।

अध्यात्मिक ज्ञान के अभाव में परमात्मा के विधान से अपरिचित होने के कारण यह प्राणी इस दुखों के घर संसार में महान कष्ट झेल रहा है और इसी को सुख स्थान मान रहा है 

🌹🌹जैसे एक व्यक्ति जून के महीने में दिन के 12 या 1 बजे, हरियाणा प्रान्त में शराब पीकर चिलचिलाती धूप में गिरा पड़ा है, पसीनों से बुरा हाल है, रेत शरीर से लिपटा है।
 एक व्यक्ति ने कहा हे भाई! उठ, तुझे वृक्ष के नीचे बैठा दूँ, तू यहाँपर गर्मी में जल रहा है। 
शराबी बोला कि मैं बिल्कुल ठीक हूँ, मौज हो रही है,कोई कष्ट नहीं है।


  🌹🌹 एक व्यक्ति किसी कारण कोर्ट में गया। वहाँ उसका रिश्तेदार मिला।एक-दूसरे से कुशल-मंगल पूछी, दोनों ने कहा, सब ठीक है, मौज है।

🌹🌹 एक व्यक्ति का इकलौता पुत्र बहुत रोगी था। उसको P.G.I  मे  भर्ती करा रखा था। लड़के की बचने की आशा बहुत कम थी। ऐसी स्थिति में माता-पिता की क्या दशा होती है, आसानी से समझी जा सकती है। रिश्तेदार मिलने आए और पूछा कि बच्चे का क्या हाल है? पिता ने बताया कि बचने का भरोसा नहीं, फिर पूछा और कुशल-मंगल है, 
पिता ने कहा कि सब मौज है।

विचार करें :-1. शराब के नशे में घोर धूप के ताप को झेल रहा था। फिर भी कह रहा था कि मौज हो रही है।

2. कोर्ट कचहरियों में जो रिश्तेदार मिले, दोनों ही कह रहे थे कि सब मौज है। विचार करें जो व्यक्ति कोर्ट के कोल्हू में फँसा है। उसको स्वपन में भी सुख नहीं होता। फिर भी दोनों कह रहे थे कि मौज है अर्थात् आनन्द है।

 3. जिस व्यक्ति का इकलौता पुत्रा मृत्यु शैय्या पर हो, उसको मौज कैसी?इसलिए सूक्ष्मवेद में कहा है कि इस दुःखालय संसार में यह प्राणी महाकष्ट को सुख मान रहा है।

यह संसार समंझदा नाहीं, कहंदा शाम दोपहरे नूं।
गरीब दास यह वक्त जात है, रोवोगे इस पहरे नूँ।

सन्त गरीबदास जी ने बताया है 

कि मनुष्य जन्म प्राप्त करके जो व्यक्ति भक्ति नहीं करता, वह कुत्ते, गधे आदि-आदि की योनि में कष्ट उठाता है।
कुत्ता रात्रि में आसमान की ओर मुख करके रोता है।
इसलिए गरीबदास जी ने बतायाहै कि यह मानव शरीर का वक्त एक बार हाथ से निकल गया और भक्ति नहीं की तो इस समय (इस पहरे) को याद करके रोया करोगे।।
की जानकारी के लिए देखें
supremegod.org



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