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आइए आज जानते हैं कबीर साहेब के लीलाओं के बारे में!
शिशु कबीर की सुन्नत करने का असफल प्रयत्न
शिशु रूप धारी कबीर देव की सुन्नत करने के लिए जब नाई कैची लेकर गया तो परमेश्वर ने अपने लिंग के साथ एक लिंग और बना लिया फिर उस सुन्नत करने को तैयार व्यक्ति की आंखों के सामने तीन लिंग और बढ़ते दिखाए कुल 5 लिंग एक बालक के देख कर सुन्नत करने वाला आश्चर्य में पड़ गया तब कबीर जी शिशु रूप में बोले भैया एक ही लिंग की सुन्नत करने का विधान है ना मुसलमान धर्म में।
शेष चार की सुन्नत कहां करानी है। जल्दी बोल। शिशु को ऐसे बोलते सुनकर तथा पांच लिंग बालक के देखकर नाई ने अन्य उपस्थित व्यक्तियों को बुलाकर वह अद्भुत दृश्य दिखाया सभी उपस्थित जनसमूह यह देखकर अचंभित हो गया आपस में चर्चा करने लगे अल्लाह का कैसा कमाल है एक बच्चे को पांच पुरुष लिंग।यह देखकर बिना सुन्नत किए ही नाई चला गया।।
शिशु कबीर परमेश्वर का नामांकन
काशी से काजी भगवान कबीर का नाम तय करने के लिए आया था।
उन्होंने पूरी तरह से कुरान का निरीक्षण किया और देखा, कि सभी शब्द बदल गए और कुरान में लिखे गए हर शब्द के स्थान पर केवल एक शब्द "कबीर" मिला।
काजियो ने सोचा इस छोटे जाति वाले का कबीर नाम रखना शोभा नहीं देगा ।
पुनः कुरान शरीफ खोली तो उसमें सर्व अक्षर कबीर ,कबीर ,कबीर......हो गए कबीर परमेश्वर शिशु रूप में बोले मैं कबीर अल्लाह हूं अर्थात अल्लाहू अकबर हूं।
मेरा नाम कबीर ही रखो ।
सकल कुरान कबीर है, हरफ लिखे जो लेख।
काशी के काजी कहे,गई दीन की टेक।।
शिशु कबीर देव द्वारा कुँवारी गाय का दूध पीना
जब बालक कबीर को दूध पिलाने की कोशिश में नीरू नीमा असफल रहे। तब कबीर साहेब ने कहा कुँवारी गाय ले आओ मैं उसका दूध पीऊँगा। ऐसा ही हुआ।
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 में प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआ बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है तब कुँवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है।
कबीर जी द्वारा स्वामी रामानन्द के मन की बात बताना’
स्वामी रामानंद जी विष्णु जी की काल्पनिक मूर्ति बनाकर मानसिक पूजा करते थे।
एक समय ठाकुर की मूर्ति पर माला डालनी भूल गए। तब कबीर परमात्मा जो कि 5 वर्ष के बालक की लीला कर रहे थे बोले कि माला की गांठ खोल कर गले में डाल दो स्वामी जी, पूजा खंडित नहीं होगी। तब रामानंद जी जो पर्दे के भीतर मन में पूजा कर रहे थे, कबीर परमात्मा को सबके सामने गले लगा लिया।
मन की पूजा तुम लखी मुकुट माल परवेश।
गरीबदास गति कौ लखै, कौन वरण क्या भेष।।
गोरखनाथ के साथ चमत्कार
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एक बार गोरखनाथ जी जब कबीर परमेश्वर जी के साथ ज्ञान गोष्ठी कर रहे थे तो गोरखनाथ जी कबीर जी के सामने 5-6 फुट का त्रिशूल जमीन में गाड़कर उस पर बैठ गये और कहा कि यदि वार्ता करनी है तो मेरे साथ आकर बैठो।
कबीर जी ने एक धागे की रील आसमान में उछाली और 150 फुट की ऊंचाई पर धागे के अंतिम सिरे पर जाकर बैठ गए।
गोरखनाथ जी देखते रह गए
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एक बार कबीर परमेश्वर जी और गोरखनाथ जी की गोष्ठी हुई। गोरखनाथ जी गंगा नदी की ओर चल पड़ा। उसमें जा कर छलांग लगाते हुए कबीर जी से कहा कि मुझे ढूंढ दो मैं आपका शिष्य बन जाऊँगा। गोरखनाथ मछली बन कर गए। कबीर साहेब ने उसी मछली को पानी से बाहर निकाल कर सबके सामने गोरखनाथ बना दिया। तब गोरखनाथ कबीर जी के शिष्य बने।
महर्षि सर्वानन्द की माँ शारदा का रोग ठीक करना
एक सर्वानन्द नाम के महर्षि थे। उसकी आदरणीय माता श्रीमती शारदा देवी पाप कर्म फल से पीडि़त थी। उसने कबीर परमात्मा से उपदेश प्राप्त किया तथा उसी दिन कष्ट मुक्त हो गई।
क्योंकि पवित्र यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32
में लिखा है कि ‘‘कविरंघारिरसि‘‘ अर्थात् (कविर्) कबीर (अंघारि) पाप का शत्रु (असि) है। फिर इसी पवित्र यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 में लिखा है कि परमात्मा (एनसः एनसः) अधर्म के अधर्म अर्थात् पापों के भी पाप घोर पाप को भी समाप्त कर देता है।
नामदेव जी की छान डालना
जब जर्जर हुई झोपड़ी की छत को सही करने में लिए माता ने नामदेव को घास फूस लाने भेजा, तो रास्ते में सत्संग सुनने की वजह से और कुल्हाड़ी लगने से जब नामदेव घास फूस की व्यवस्था नहीं कर पाया और खाली हाथ घर लौटा तो नामदेव के रूप में कबीर जी झोपड़ी की छत डाल गए।
स्वामी रामानंद जी को जीवित करना
दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोधी ने स्वामी रामानंद जी की गर्दन तलवार से काट दी थी।
कबीर साहेब जी ने देखा कि रामानंद जी का धड़ कहीं और सिर कहीं पर पड़ा था।
तब कबीर साहेब ने मृत शरीर को प्रणाम किया और कहा कि गुरुदेव उठो।
दूसरी बार कहते ही सिर अपने आप उठकर धड़ पर लग गया और रामानंद जी जीवित हो गए।
सिकंदर लोधी बादशाह के जलन का असाध्य रोग ठीक करना
कबीर परमेश्वर जी ने दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोधी के जलन का असाध्य रोग आशीर्वाद मात्र से ठीक कर दिया। वह रोग जो किसी काजी, मुल्ला के जंत्र-मंत्र से भी ठीक नहीं हुआ था।
मृत लड़के कमाल को जीवित करना
शेखतकी का कहना था कि अगर कबीर अल्लाह है, तो किसी मुर्दे को जीवित कर दे तो अल्लाह मान लूंगा। सुबह एक 10-12 वर्ष की आयु के लड़के का शव पानी में तैरता हुआ आ रहा था। शेखतकी ने जंत्र-मंत्र से प्रयत्न किया लेकिन लड़का जीवित नहीं हुआ। तब कबीर साहेब ने कहा कि हे जीवात्मा जहाँ भी है, कबीर हुक्म से मुर्दे में प्रवेश कर और बाहर आ। इतना कहा ही था कि शव में कम्पन हुई तथा जीवित होकर बाहर आ गया।
मृत लड़की को जीवित करना"
शेखतकी ने कबीर साहेब को कहा कि अगर आप अल्लाह हो तो मेरी इस मृत लड़की को जीवित कर दो तब कबीर साहेब ने शेखतकी की मृत लड़की को जीवित कर किया था और उस लड़की का नाम कमाली रख दिया था।
सिकंदर लोधी ने एक गऊ के तलवार से दो टुकड़े कर दिये। गऊ को गर्भ था और बच्चे के भी दो टुकड़े हो गए।
तब सिकंदर लोधी राजा ने कहा कि कबीर, यदि तू खुदा है तो इस गऊ को जीवित कर दे अन्यथा तेरा सिर भी कलम कर (काट) दिया जाएगा। साहेब कबीर ने एक बार हाथ गऊ के दोनों टुकड़ों को लगाया तथा दूसरी बार उसके बच्चे के टुकड़ों को लगाया। उसी समय दोनों माँ-बेटा जीवित हो गए। साहेब कबीर ने गऊ से दूध निकाल कर बहुत बड़ी देग (बाल्टी) भर दी
तथा कहा -
गऊ अपनी अम्मा है, इस पर छुरी न बाह।
गरीबदास घी दूध को, सब ही आत्म खाय।।
चुटकी तारी थाप दे, गऊ जिवाई बेगि।
गरीबदास दूझन लगी, दूध भरी है देग।।
मुर्दे को जीवित करना
मृत गऊ को जीवित करना
सिकंदर लोधी ने एक गऊ के तलवार से दो टुकड़े कर दिये। गऊ को गर्भ था और बच्चे के भी दो टुकड़े हो गए।तब सिकंदर लोधी राजा ने कहा कि कबीर, यदि तू खुदा है तो इस गऊ को जीवित कर दे अन्यथा तेरा सिर भी कलम कर (काट) दिया जाएगा। साहेब कबीर ने एक बार हाथ गऊ के दोनों टुकड़ों को लगाया तथा दूसरी बार उसके बच्चे के टुकड़ों को लगाया। उसी समय दोनों माँ-बेटा जीवित हो गए। साहेब कबीर ने गऊ से दूध निकाल कर बहुत बड़ी देग (बाल्टी) भर दी
तथा कहा -
गऊ अपनी अम्मा है, इस पर छुरी न बाह।
गरीबदास घी दूध को, सब ही आत्म खाय।।
चुटकी तारी थाप दे, गऊ जिवाई बेगि।
गरीबदास दूझन लगी, दूध भरी है देग।।
मुर्दे को जीवित करना
ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3 में प्रमाण मिलता है कि पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है।
उसी विधान अनुसार कबीर परमेश्वर ने कमाल, कमाली नाम के मुर्दों को जीवित किया था।
भैंसे से वेद मन्त्र बुलवाना
एक समय तोताद्रि नामक स्थान पर सत्संग था। सत्संग के पश्चात भण्डारा शुरू हुआ। भंडारे में भोजन करने वाले व्यक्ति को वेद के चार मन्त्र बोलने पर प्रवेश मिल रहा था। कबीर साहेब की बारी आई तब थोड़ी सी दूरी पर घास चरते हुए भैंसे को हुर्रर हुर्रर करते हुए बुलाया। तब कबीर जी ने भैंसे की कमर पर थपकी लगाई और कहा कि भैंसे इन पंडितों को वेद के चार मन्त्र सुना दे। भैंसे ने छः मन्त्र सुना दिए।जगन्नाथ के पांडे की कबीर जी द्वारा रक्षा
जगन्नाथ पुरी में एक रामसहाय पाण्डा खिचड़ी का प्रसाद उतार रहा था। गर्म खिचड़ी उसके पैर पर गिर गई। उस समय कबीर जी अपने करमण्डल से हिम जल रामसहाय पाण्डा के पैर पर डाला। उसके तुरंत बाद राहत मिलते ही पैर ठीक हो गया। उस समय कबीर जी ना होते रामसहाय पाण्डा का पैर जल जाता।
गरीबदास जी देते हैं -
पग ऊपरि जल डालकर, हो गये खड़े कबीर। गरीबदास पंडा जरया, तहां परया योह नीर।।
जगन्नाथ जगदीश का, जरत बुझाया पंड। गरीबदास हर हर करत, मिट्या कलप सब दंड।।
"सेउ की कटी हुई गर्दन को जोड़ना"
परमात्मा कबीर ने अपने भक्त की कटी हुई गर्दन वापिस जोड़ दी थी।
आओ सेउ जीम लो,यह प्रसाद प्रेम।
सिर कटते हैं चोरों के,साधों के नित्य क्षेम।।
ऐसी-2 बहुत लीलाएँ साहेब कबीर (कविरग्नि) ने की हैं जिनसे यह स्वसिद्ध है कि ये ही पूर्ण परमात्मा हैं। सामवेद संख्या नं. 822 तथा ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 162 मंत्र 2 में कहा है कि कविर्देव अपने विधिवत् साधक साथी की आयु बढ़ा देता है।
काशी का अद्भुत भंडारा"
शेखतकी मुस्लिम पीर ने कबीर साहेब को नीचा दिखाने के लिए 3 दिन के भंडारे की कबीर साहेब के नाम से सभी जगह झूठी चिठ्ठी डलवाई थी कि कबीर जी तीन दिन का भंडारा करेंगे, सभी आना। भोजन के बाद एक मोहर, एक दोहर भी देंगे। कबीर साहेब ने तीन दिन का मोहन भंडारा कराया और लाखों की संख्या में उनके अनुयायी हुए।
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