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MagharLeela_Of_GodKabir

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आइए आज जानते हैं कबीर साहेब के मगहर लीला के बारे में!

जैसा कि आप सभी ने सुना होगा कि कबीर साहेब जी इस प्रथ्वी पर सशरीर आए थे और सशरीर ही सतलोक गए थे।

 चलिए अब शुरू करते हैं कबीर साहेब की मगहर लीला

 मगहर ,गोरखपुर से 25 किलोमीटर की दूरी पर  है और उसका  नवाब उस समय बिजली खां पठान था।
 एक बार मगहर रियासत में अकाल पड़ गया।सभी
जंतर-मंतर कर लिए थे ।
 गोरखनाथ जैसे सिद्ध पुरुष भी बारिश करवाने में नाकाम रहे थे।सभी पुरुषों ने हाथ खड़े कर लिए थे कि तुम्हारे संस्कार में 4 वर्ष वर्षा नहीं है 4 वर्ष का अकाल गिरेगा ही गिरेगा
लेकिन परमात्मा कबीर जी ने वहां बारिश करवाकर दिखा दी थी और साबित कर दिया कि वही जगत पालनहार


  ✳️परमेश्वर जी ने मगहर रियासत में 14वीं शताब्दी में पड़े भीषण अकाल को अपनी समर्थ शक्ति से टालकर वर्षा करके सबको जीवनदान दिया। हजारों हिंदू-मुसलमानों ने उपदेश लिया। एक 70 वर्षीय निःसंतान मुसलमान दंपती को पुत्र होने का आशीर्वाद दिया। वर्तमान में उस व्यक्ति का एक पूरा मौहल्ला बना हुआ है, नाम है "मौहल्ला कबीर करम"


✳️   मगहर में सूखी नदी में पानी बहाना

मगहर के समीप एक आमी नदी बहती थी। वह भगवान शंकर जी के श्राप से सूख गई थी। पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब ने उसी समय अपनी शक्ति से उसमें पानी भर चलाया। आज भी आमी नदी प्रमाण के तौर पर बह रही है। 


  कबीर परमात्मा का मगहर से सशरीर सतलोक गमन


💠पंडितों ने गलत मान्यता फैलाई थी की कि काशी में मृत्यु होने से मुक्ति मिल जाती है और मगहर में मृत्यु होने से गधा बनते हैं।
 लेकिन कबीर साहेब का मानना था कि अगर काशी में ही मुक्ति होती है तो जीवन भर राम-नाम जपने और ध्यान-साधना करने की क्या आवश्यकता।
कबीर साहेब ने अपनी वाणी में भी कहा है की,
"लोका मति के भोरा रे, जो काशी तन तजै कबीरा, तौ रामहि कौन निहोरा रे"

कबीर परमेश्वर ने हिन्दू धर्मगुरुओं के भ्रम को तोड़ा। जो ये कहा करते थे कि जो मगहर में मरता है वह गधा बनता है और काशी में मरने वाला स्वर्ग जाता है। इस भ्रम निवारण के लिए कबीर साहिब जी ने मगहर से सशरीर सतलोक गमन किया और उनके शरीर के स्थान पर चादर पर सुगंधित फूल पाए गए।


तहां वहां चादरि फूल बिछाये, सिज्या छांडी पदहि समाये।
दो चादर दहूं दीन उठावैं, ताके मध्य कबीर न पावैं


✳️परमात्मा कबीर जी के मगहर से सशरीर जाने के प्रमाण को मलूक दास जी भी प्रमाणित करते हुए कहते हैं:-
काशी तज गुरु मगहर आए, दोनों दीन के पीर,
कोई गाड़े कोई अग्न जरावे, ढूंढा ना पाया शरीर ।
चार दाग से सतगुरु न्यारा, अजरो अमर शरीर।
दास मलूक सलूक कहत हैं, खोजो खसम कबीर।।


✳️मगहर में कबीर साहेब ने की अद्भुत लीला!

मगहर में कबीर साहेब के सशरीर सतलोक जाने के बाद उनके हिन्दू और मुस्लिम शिष्यों के बीच विवाद हो गया। मगहर के राजा बिजली खाँ पठान और बनारस के राजा बीर सिंह बघेल के बीच कबीर साहेब के अंतिम संस्कार को लेकर बहुत मतभेद हुआ। लेकिन कबीर साहेब के जाने के बाद चादर के नीचे उनके शरीर के बदले केवल फूल मिले। उसके बाद दोनों धर्म के लोगों ने आधे आधे फूल बाँट लिए।

💠
उनके शरीर के स्थान पर सुगंधित फूल पाए गए जो कबीर परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार दोनों धर्मों ने आपस में लेकर मगहर में 100 फुट के अंतर से एक-एक यादगार बनाई जो आज भी विद्यमान है।
यह दोनों धर्मों हिंदुओं और मुसलमानों में आपसी भाईचारे व सद्भावना की एक मिसाल का प्रमाण है।

💠मगहर में परमात्मा का चमत्कार!

कबीर परमेश्वर जी के अद्भुत चमत्कार जैसे अकाल से बचाना, सूखी आमी नदी बहाना, सशरीर सतलोक जाना आदि देखकर तथा उनके‌ द्वारा दिए तत्वज्ञान का‌ अनुसरण करके मगहर के सर्व हिंदू-मुसलमान आज भी विशेष प्रेम से रहते हैं। आज तक उनकी धर्म के नाम पर कोई लड़ाई नहीं हुई।


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